DECEMBER 9, 2022
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Santalo ke baare mein behtar jankari

Santalo ke baare mein behtar jankari

भूगोल के अनुसार झारखंड को तीन भागों मे बाटा गया है –

1.छोटा नागपुर व आस पास के क्षेत्र 

2.कुल्हन व आस पास के क्षेत्र 

3.संताल परगना


*संताल जनजाति का बहुत बड़ा हिस्सा झारखंड के संताल परगना में पाया जाता है। संताल परगना की भाषा और culture बहुत अनोखी है।


*संताल जनजाति में एक बहुत अच्छी बात यह है कि पुरुष और महिला में ज्यादा भेद नही होता हैं।इनमे सिर्फ इतना भेद होता है जितना प्रकृति ने हमें बनाया है जैसे महिला मां बन सकती है और पुरुष मां नही बन सकती है।

उदाहरण – इस समाज में दहेज प्रथा नहीं होती है।


*संताल जनजाति में माझी परगना द्वारा समाज को नियंत्रण किया जाता है। ये परंपरा कई सदियों से चली आ रही हैं।

माझी परगना में पांच मुख्य लोग होते है जो इस परंपरा को चलाते हैं।इस पांच वक्तियों में फैसले सुनाने और सजा देने की भी सक्ति होती हैं।

इस परंपरा के पांच मुख्य लोग हैं–

1. मांझी हडम (प्रधान)

2. जोग मांझी (प्रधान का assit)

3. नायकी हडम (पुरोहित)

4. गुडित (खबर पहुंचाने वाला)

5. कूदम नायकी 


इसमें interesting बात यह है कि इसमें महिलाओं का भी इतना ही महत्व हैं माझी हडम हैं तो माझी बूढ़ी भी है (मांझी हडम की पत्नी)


पुराने समय में जोग मांझी नौजवानों को शिकार करने , युद्ध करने आदि सिखाते थे। दूसरी ओर जोग मांझी की पत्नी जोग बूढ़ी महिलाओं को सिखाती थी कि घर कैसे चलाते है, दवाई जड़ी–बूटी कैसे बनाते है।


संताल समाज के लोग सरना धर्म को मानते है। जिसमे बुंगाओ को पूजने की परंपरा है। बुनगा सब्द का अर्थ है मनुष्य और भगवान के बीच का जुडाव। बुंगाओ के पूजा में नायकी हडम अहम भूमिका निभाते है।


सोहराय, बाहा, एरो जैसे कुछ मुख्य त्योहार है जो संतालो द्वारा मनाया जाता है।ये सारे त्योहार प्रकृति से जुड़े रहते है।इन त्योहार में लोग चावल के पकवान और जिल पीथा बनाते है।

संथालो का अपना अनोखा पहनावा होता है जिसे पंछी पढन कहते है। पंछी पढन प्रकृति के रंग से मिलता जुलता है जो

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