झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की मुश्किलें माइनिंग लीज और सेल कंपनी के मामले में बढ़ती नजर आ रही है| केंद्रीय जांच एजेंसी ED का शिकंजा उनकी सरकार पर कसता जा रहा है। आपको बता दें ED का फुल फॉर्म होता है (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट )जो कि 1956 में स्थापित हुआ था| इसका हेड क्वार्टर दिल्ली में है यह विदेशी मुद्रा प्रावधान अधिनियम 1999( फेमा ) धन शोधन रोकधाम के तहत कुछ प्रावधानों को लागू करने और खुफिया संगठन भारत में आर्थिक अपराधों से लड़ने और आर्थिक कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है|
झारखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है |
कोर्ट में तमाम दलीलों के बावजूद अभी तक सुनवाई नहीं की गई है सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आईएएस पूजा सिंघल के बारे में भी सरकार से पूछताछ की आखिरकार अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई | इस मामले में भी सरकार पर बहुत बड़े आरोप लगते नजर आ रहे हैं| माइनिंग लीज और सेल कंपनी के मामले में 19 मई को होगी सुनवाई | हाई कोर्ट 19 मई को आगे की सुनवाई करने वाली है|
दिन ब दिन हेमंत सोरेन के ऊपर आरोप लगते जा रहे हैं।
इधर झारखंड की जनता आदिवासी,मूलवासी भी काफी नाराज़ नजर आ रहे हैं | पिछले कुछ दिनों में 1932 खातियान
को लेकर जोरों सोरों से सरकार से मांग रखी गई जनता की तरफ से |लेकिन हेमंत सरकार द्वारा साफ इंकार कर दिया गया कि 1932 किसी भी हाल में लागू नहीं किया जा सकता|
इधर आदिवासी सेंगेल अभियान के द्वारा 30 अप्रैल 2022 को रांची मोहराबादी मैदान में विशाल जनसभा का आयोजन किया गया था | संताली भाषा को झारखंड का राज्य भाषा बनाने की मांग को लेकर , सरकार से अनुमति के साथ हेमंत सोरेन को चीफ गेस्ट भी बुलाया गया था| लेकिन ऐन वक्त पर सरकार , प्रशासन की तरफ़ से कोविड का हवाला देकर जनसभा को रोक दिया गया,इस विशाल जन सभा रैली में झारखंड के अलावा असम,बिहार, बंगाल,ओडिशा , बांग्लादेश और नेपाल से बड़ी संख्या में संथाली बोलने वाले लोग आने वाले थे| इस मामले में झारखंड की जनता काफ़ी नाराज़ है झारखंड सरकार से |